Wednesday 22 August 2012

किताबें कुछ कहना चाहती है


किताबे करती है बाते बीते ज़मानो की
दुनिया की इंसानों की आज की कल की
एक एक पल की,खुशियों की, ग़मों की
फूलों की , जीत की, हार की
क्या तुम नहीं सुनोगे इन किताबों की बाते?
किताबे कुछ कहना चाहती हैं
तुम्हारे संग रहना चाहती हैं
किताबो में चिड़िया चहचहाती है
किताबो में खेतियाँ लहलहाती हैं
किताबों में झरने गुनगुनाते हैं
किताबो में रॉकेट का राज है
किताबों में साइंस की आवाज है
किताबों का इतना बड़ा संसार है
किताबो में ज्ञान का भंडार है
क्या तुम इस संसार में नहीं जाना चाहोगे ?
किताबें कुछ कहना चाहती है
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं

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